समाज | 6-मिनट में पढ़ें
फातिमा शेख-सावित्रीबाई फुले को जानेंगे तो महिला शिक्षा के आगे जाति-धर्म की बहस तुच्छ लगेगी!
महाराष्ट्र के पुणे में, आज ही के दिन यानी 9 जनवरी को जन्मी भारतीय शिक्षाविद फातिमा शेख को मुस्लिम शिक्षाविद बताया जा रहा है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. एक समाज के रूप में हमें इस बात को समझना होगा कि चाहे वो फातिमा शेख रही हों या फिर सावित्री बाई फुले। महिलाओं को घर से निकालकर स्कूल भेजना जब आज आसान नहीं है तो उस समय तो हरगिज न रहा होगा.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
ससुराल वालों ने पढ़ने से रोका तो घर छोड़कर चली गई दुल्हन, वो और क्या करती?
नेहा ने चिट्ठी में लिखा था कि ‘उसकी शादी यह कह कर कराई गई थी कि वह ससुराल में जाकर आगे की पढ़ाई पूरी कर सकती है. उसे करियर बनाने का मौका दिया जाएगा लेकिन शादी के बाद ससुराल वाले पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुए. ऐसे में उसे कुछ समझ नहीं आया और यह कदम उठाना पड़ा.'
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